।। श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नम: ।। ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम: ।। ॐ ह्रिं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम: || ॐ भुर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धिमही धियो योन: प्रच्योदयात|| गुरु वाणी: Such thoughts are missing in animals, birds and insects. Even gods and demons do not think thus. This is why humans are said to be the most unique in the universe. But if a human never thinks why he has been created by the Lord, what the goal of his life then he is no better than the animals.

Listen Guru Mantra

adsense

Durlabhopanishad (दुर्लभोपनिषद)

Those Sadhak or Shishyas who read or listen this divine Durlabhopanishad continuously for 108 days he/she will surely achieve half and over several types of Siddhis and success in Sadhanas and in the field of Spiritualism. So, It's your turn to read and Listen the Audio clip of Durlabhopanishad (दुर्लभोपनिषद) in the voice of our revered Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali. That is at the bottom of this page........ Jaya Gurudev!




गुरुर्वै सदां पूर्ण मदैव तुल्यं
प्राणो बदार्यै वहितं सदैव।
चिन्त्यं विचिन्त्यं भव मेक रुपं
गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं

गुरुर्वै प्रपन्ना महितं वदैवं
अत्योर्वतां वै प्रहितं सदैव।
देवोत्वमेव भवतं सहि चिन्त्य रुपं
गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।

सतं वै सदानं देहालयोवैप्रातोर्भवेवै
सहितं  न  दिर्घयै।
पूर्णतंपरांपूर्ण मदैव रुपं
गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।

अदोयं वदेवं चिन्त्यं (सहेतं)
पुर्वोत्त रुपं चरणं सदैयं।
आत्मो सतां पूर्ण मदैव चिन्त्यं
गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।

चैतन्य रुपं अपरं सदैव
  प्राणोदवेवं चरणं सदैव।
सतिर्थो सदैवं भवतं वदैव
गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।

चैतन्य रुपं भवतं सदैव,
ज्ञानोच्छवासं सहितं तदैव।
देवोत्त्थां पूर्ण मदैव शक्तीं,
गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।

न तातो वतान्यै न मातं न भ्रातं
न देहो वदान्यै पत्निर्वतेवं।
न जानामी वित्तीं न व्रितं न रुपं
गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।

त्वदियं त्वदेयं भवत्वं भवेयं,
चिन्त्यंविचिन्त्यं सहितं सदैव।
आतोनवातं भवमेक नित्यं,
गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।

अवतं मदेवं भवतं सदैवं,
ज्ञानं सदेवं चिन्त्यं सदैवं।
पूर्णं सदैवं अवतं सदैवं,
गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।

Listen the Audio clip of Durlabhopanishad (दुर्लभोपनिषद) in the voice of our revered Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali.






6 comments: